मुंबई, 17 अप्रैल। फिल्म निर्देशक और अभिनेता अनुराग कश्यप ने अनंत महादेवन की जीवनी पर आधारित फिल्म 'फुले' को लेकर उठ रही आलोचनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म को जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म की रिलीज से पहले जाति से संबंधित कुछ संदर्भों को हटाने का निर्देश दिया है।
सीबीएफसी के निर्देशों के अनुसार, निर्माताओं को कई जातिगत शब्दों को हटाना पड़ा, जिनमें 'महार', 'मांग', 'पेशवाई' और 'मनु की जाति व्यवस्था' जैसे शब्द शामिल हैं।
कश्यप ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक नोट के माध्यम से सीबीएफसी के निर्णय पर अपनी असहमति व्यक्त की, जिसमें उन्होंने लिखा, "पंजाब 95, तीस, धड़क 2, फुले- मुझे नहीं पता कि कितनी अन्य फिल्में इस जातिवादी और क्षेत्रवादी एजेंडे के कारण रोकी गई हैं। हमारे नेता जाति व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।"
फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से यह विवादों में है।
इससे पहले, फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा ने भी सोशल मीडिया पर फिल्म सेंसरशिप के मुद्दे पर सवाल उठाए थे। 'थप्पड़' के निर्देशक ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "क्या समाज में जाति व्यवस्था नहीं है? क्या यह कभी अस्तित्व में नहीं थी? हमें खुद से झूठ बोलने की आवश्यकता नहीं है। चुनाव आयोग और सीबीएफसी के मानकों में भिन्नता नहीं होनी चाहिए। दोनों ही समाज के साथ संवाद का माध्यम हैं।"
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